खरगोन। भारतीय आध्यात्मिक जगत के महान संत, Sant Siyaram Baba, जो अपनी तपस्या, ज्ञान और समाज सेवा के लिए जाने जाते थे, ने 110 वर्ष की आयु में मोक्ष प्राप्त किया। बाबा ने मोक्षदा एकादशी के पावन दिन, रविवार सुबह 6:10 बजे अंतिम सांस ली। उनकी अंतिम यात्रा अलास्का नदी तट स्थित भट्टायन आश्रम में आयोजित की जाएगी, जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सहित अन्य श्रद्धालु और अनुयायी शामिल होंगे।
Sant Siyaram Baba का जीवन और योगदान
Sant Siyaram Baba का जीवन भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का प्रतीक रहा है। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय समाज के कमजोर और वंचित वर्गों की सेवा में बिताया। उनकी शिक्षाएं, जो प्रेम, करुणा और आध्यात्मिकता पर आधारित थीं, देशभर में लाखों लोगों को प्रेरित करती थीं।
बाबा ने विभिन्न धार्मिक और सामाजिक सुधार अभियानों में भाग लिया और अपने अनुयायियों को नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति जागरूक किया। उनकी तपस्या और साधना ने उन्हें समाज में एक आदर्श संत के रूप में स्थापित किया।
स्वास्थ्य और निधन
पिछले 10 दिनों से Sant Siyaram Baba मलेरिया से ग्रसित थे। उनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए संतों की एक विशेष टीम ने 24 घंटे निगरानी रखी। शनिवार को उनके स्वास्थ्य में आंशिक सुधार देखा गया था, लेकिन रविवार सुबह अचानक उनकी स्थिति बिगड़ गई। सुबह 6:10 बजे उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।
श्रद्धांजलि और अंतिम संस्कार
Sant Siyaram Baba के निधन से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके अनुयायियों और श्रद्धालुओं के लिए यह अपूरणीय क्षति है। शाम 4 बजे भट्टायन आश्रम क्षेत्र में उनकी अंतिम यात्रा आयोजित की जाएगी। बड़ी संख्या में लोग अपने प्रिय संत को श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं।
Sant Siyaram Baba की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक
Sant Siyaram Baba की शिक्षाएं आज भी समाज के लिए प्रेरणादायक हैं। उनके विचार, जो मानवता, समानता और आध्यात्मिक जागरूकता पर आधारित थे, आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।
Sant Siyaram Baba जैसे संतों का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति और सेवा से जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। उनके अनुयायियों के लिए, बाबा के आदर्श और शिक्षाएं हमेशा मार्गदर्शन करती रहेंगी।