Nazul Land Bill: उत्तर प्रदेश में विवाद और संभावनाएं

उत्तर प्रदेश में Nazul Land Bill चर्चा का मुख्य विषय बना हुआ है। वर्तमान सरकार ने इस विधेयक को विधानसभा में पारित कर दिया है, लेकिन विधान परिषद में इसे रोक दिया गया है। भाजपा की सहयोगी पार्टी और कुछ विधायकों द्वारा इसका विरोध किया गया, उनका कहना था कि यह विधेयक बिना उचित विचार के जल्दबाजी में लाया गया है। उन्होंने इसे प्रवर समिति को भेजने की मांग की। विधान परिषद के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से इसे प्रवर समिति को सौंप दिया है, जो दो महीने बाद अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

विधेयक के महत्वपूर्ण पहलू Nazul Land Bill:

इस सियासी घमासान के बीच योगी सरकार ने Nazul Land Bill के महत्वपूर्ण पहलुओं को स्पष्ट किया। इस विधेयक के लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश में किसी भी नजूल भूमि को निजी व्यक्ति या संस्था के पक्ष में फ्री होल्ड नहीं किया जाएगा। अब नजूल भूमि का अनुदान केवल सार्वजनिक संस्थाओं को ही दिया जाएगा, जिसमें केंद्रीय या राज्य सरकार के विभाग, शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सहायता के क्षेत्र में सेवा करने वाली संस्थाएं शामिल हैं। विधेयक के अनुसार, खाली पड़ी नजूल भूमि, जिसकी लीज का समय समाप्त हो रहा है, उसे फ्री होल्ड न करके सार्वजनिक हित की परियोजनाओं, जैसे अस्पताल, विद्यालय, सरकारी कार्यालय आदि के लिए उपयोग किया जाएगा।

पट्टाधारकों के लिए नियम

जो पट्टाधारक 27 जुलाई 2020 तक फ्री होल्ड के लिए आवेदन कर चुके हैं और निर्धारित शुल्क जमा कर चुके हैं, उनके पास लीज अवधि समाप्त होने के बाद अगले 30 वर्षों के लिए नवीनीकरण का विकल्प होगा, बशर्ते उन्होंने मूल लीज डीड का उल्लंघन न किया हो।

आबादी निवासरत भूमि या व्यापक जनहित में उपयोग की जा रही भूमि को नहीं हटाया जाएगा। वर्तमान में उपयोग में लाई जा रही भूमि से किसी की बेदखली नहीं की जाएगी। जिन्होंने लीज अवधि में लीज डीड का उल्लंघन नहीं किया है, उनका पट्टा नियमानुसार जारी रहेगा।

नजूल की भूमि पर बने किसी भी भवन को हटाने की आवश्यकता होने पर सरकार प्रभावित व्यक्ति को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 के अनुसार उचित मुआवजा और पुनर्वास देगी। यह अधिनियम सरकार को अधिकार देता है कि वह नजूल की भूमि पर काबिज गरीब तबके के हितों की रक्षा कर सके और उनका पुनर्वास कर सके।

नजूल भूमि का इतिहास

Nazul Land Bill का इतिहास ब्रिटिश शासनकाल से जुड़ा है। अंग्रेजों ने उन राजाओं की भूमि छीन ली थी, जो उनके खिलाफ विद्रोह करते थे। स्वतंत्रता के बाद, अंग्रेजों ने इन जमीनों को छोड़ दिया। उचित दस्तावेजों की कमी के कारण इन जमीनों को नजूल भूमि के रूप में चिह्नित किया गया और संबंधित राज्य सरकारों के स्वामित्व में रखा गया।

वर्तमान विवाद

वर्तमान में Nazul Land Bill विवाद ने प्रयागराज के निवासियों की चिंता बढ़ा दी है, जो अब योगी सरकार से समाधान की गुहार लगा रहे हैं। नजूल भूमि का सही और न्यायपूर्ण प्रबंधन राज्य सरकारों के लिए एक चुनौती बना हुआ है, जिसमें सभी हितधारकों के हितों की रक्षा करना महत्वपूर्ण है।

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