Ujjain News: राजगढ़, मध्य प्रदेश – गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर राजगढ़ में श्रीमद्भागवत कथा के आयोजन के दौरान उज्जैन के प्रतिष्ठित भागवताचार्य पंडित गोपाल कृष्ण महाराज का हार्ट अटैक (Maharaj Gopal Krishna Heart Attack) के कारण निधन हो गया। पंडित गोपाल कृष्ण अपने गुरु के समाधि स्थल पर इस वर्ष पाढ़लिया आंजना समाज और श्री सद्गुरु सेवा समिति द्वारा आयोजित कथा का परायण करने आए थे।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित इस कथा में पंडित गोपाल महाराज भक्तों को अभ्यास करने से हर काम में सफलता प्राप्त करने की बात कह रहे थे। वे भजन सुना रहे थे और भजनों के माध्यम से प्रभु की भक्ति कर रहे थे। इस दौरान सभी श्रद्धालुजन नृत्य कर भगवान की आराधना कर रहे थे। कथा स्थल पर भजनों के बीच अचानक पंडित गोपाल कृष्ण महाराज ने भजन गाना बंद कर दिया और व्यास गद्दी पर ही गिर गए। नृत्य कर रहे श्रद्धालु और सेवा समिति के लोग तुरंत उनके पास पहुंचे, लेकिन उनकी हालत गंभीर हो चुकी थी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, परंतु वहां पहुंचते ही उनकी मृत्यु हो गई।
पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार
पंडित गोपाल महाराज का पार्थिव शरीर उनके निवास स्थल दमदमा, उज्जैन पर लाया गया। वहां से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुजन और महाराज जी के अनुयायी शामिल हुए। महाराज जी के निधन से पूरे समाज में शोक की लहर दौड़ गई है।
लाइव टेलीकास्ट का वायरल वीडियो Maharaj Gopal Krishna Heart Attack:
कथा का लाइव टेलीकास्ट किया जा रहा था और इसी दौरान महाराज जी की तबियत बिगड़ने का दृश्य भी कैमरे में कैद हो गया। इस घटना का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे देखकर लोग भावुक हो रहे हैं और महाराज जी को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
Maharaj Gopal Krishna Heart Attack video
महाराज जी की शिक्षा और भक्ति
पंडित गोपाल महाराज ने अपने जीवन में अनेक बार श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन कर भक्तों को भगवान की भक्ति का महत्व समझाया। उनके प्रवचनों में भक्ति, साधना, और जीवन के नैतिक मूल्यों पर विशेष जोर दिया जाता था। वे अपने सरल स्वभाव और ज्ञान की गहराई के कारण बहुत से भक्तों के प्रिय थे।
समाज में योगदान
महाराज जी ने अपने जीवन के माध्यम से समाज को कई महत्वपूर्ण संदेश दिए और अपने अनुयायियों को जीवन में सत्य, प्रेम, और भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
पंडित गोपाल महाराज का निधन न केवल उनके परिवार और अनुयायियों के लिए बल्कि समूचे समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी स्मृतियाँ और शिक्षा सदैव जीवित रहेंगी और भक्तों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती रहेंगी।
हम सब महाराज जी की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और उनके द्वारा दिए गए सन्देशों को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लेते हैं।