Hemant Soren Bell: सुप्रीम कोर्ट से हेमंत सोरेन को नहीं मिली राहत झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए सोरेन को अंतिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निचली अदालत मामले पर संज्ञान ले चुकी है और नियमित जमानत याचिका भी खारिज हो चुकी है, इसलिए गिरफ्तारी को चुनौती देने का कोई आधार नहीं बनता।
मामले की पृष्ठभूमि: Hemant Soren Bell:
यह मामला 88.8 एकड़ जमीन से संबंधित है, जिसमें आरोप है कि इस जमीन की खरीद-फरोख्त में मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने इस मामले में हेमंत सोरेन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हेमंत सोरेन ने अपनी जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई:
Hemant Soren Bell: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर बहस हुई। हेमंत सोरेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की, जबकि ईडी की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलीलें पेश कीं। कपिल सिब्बल ने कोर्ट के समक्ष यह तर्क दिया कि यह जमीन का मामला है और इसका हेमंत सोरेन से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी रिकॉर्ड सही हैं और इस मामले में कोई विवाद नहीं बनता।
ईडी की दलीलें: Hemant Soren Bell:
एसवी राजू ने कोर्ट में कहा कि यह कहना गलत है कि इसमें कोई विवाद नहीं बनता। ईडी ने स्पष्ट किया कि हेमंत सोरेन ने निचली अदालत में जमानत याचिका दायर की थी और कोर्ट ने 4 अप्रैल को ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। इसके बाद नियमित जमानत याचिका लंबित थी और इन तथ्यों को याचिका में छुपाया गया था।
कोर्ट का निर्णय:
कोर्ट ने तथ्य छिपाने के लिए हेमंत सोरेन से नाखुशी जताई और कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। जजों ने सुझाव दिया कि सोरेन दूसरे कानूनी विकल्प तलाशें। कपिल सिब्बल ने इसके जवाब में कहा कि यह गलती जानकारी के अभाव में हुई है और इसकी सजा सोरेन को नहीं मिलनी चाहिए। लेकिन जजों ने साफ किया कि बेहतर होगा कि सोरेन अन्य कानूनी उपाय अपनाएं।
निचली अदालत का निर्णय:
निचली अदालत ने पहले ही इस मामले में ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लिया है और नियमित जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। इस संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब निचली अदालत मामले पर पहले ही संज्ञान ले चुकी है और जमानत याचिका खारिज हो चुकी है, तो गिरफ्तारी को चुनौती देने का कोई आधार नहीं बनता।
मामले का महत्व:
यह मामला न केवल झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण है, बल्कि पूरे देश की राजनीति में इसका असर देखा जा सकता है। हेमंत सोरेन, जो झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, पर मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप लगना उनकी राजनीतिक छवि पर बड़ा धक्का है। इस मामले ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है और विपक्ष ने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है।
निष्कर्ष:
हेमंत सोरेन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल सकी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निचली अदालत ने पहले ही इस मामले में संज्ञान ले लिया है और नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी है, इसलिए इस मामले में गिरफ्तारी को चुनौती देने का कोई आधार नहीं बनता। हेमंत सोरेन के लिए यह एक बड़ा झटका है और उन्हें अब दूसरे कानूनी विकल्पों पर विचार करना होगा। इस मामले का झारखंड की राजनीति और हेमंत सोरेन की राजनीतिक यात्रा पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
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